“प्रेमक सीमा “ धीरेन्द्र प्रेमर्षि

चहचहाइत चिड़इ-चुनमुन्नी

हमरा बड्ड नीक लगैत अछि
तेँ हम बाजोसँ प्रेम करैत छी
मुदा पड़बा हमरा सभसँ प्रिय अछि
ताहीसँ अपना आकाशमे हम
बाजक विचरणपर प्रतिबन्ध लगबैत छी।
हँ,मैथिली हमर पड़बा अछि।

- धीरेन्द्र प्रेमर्षि  [Dhirendra Premarshi]

"प्रेमक सीमा" धीरेन्द्र प्रेमर्षि