सब सँ पहिल बात त ई बुझू जे भाषा छियै कि ? एकर आवश्यकता किएक पडै़ छै ?
आ भाषा विनु मनुषक कि हाल हेतैक ? कने सोचू जहन अहाँके अंग्रेजी नै अबैए आ कोनो अमेरिकनके सामुने ठाढ़ भऽ जाइत छी त कोना लगैत अछि? जखन ओ किछु पुछए वा अहीँके कोनो चिज पुछबाक हुवे ? कोना अनुभव होएत ? कतेक गलानी महशुस करब ? ओएह बात छै।
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अरिपन |
अर्थात्, भाषा माने संवादके माध्यम।अपन मोनक बात कहब वा दोसरके मोनक बात सुनब जे माध्यम थिक।सएह छैक भाषा।अहाँ सब पढ़ने हएब जे एक दोसराके मोनक बात कहबाक सुनबाक लेल जे सम्प्रेषणके माध्यम होइत छै।तकरे भाषा कहल जाइत छैक।आब एक वाक्यमे ई बुझि सकैत छी जे भाषा विनु संवाद नै भऽ सकैए आ एक दोसराक मोनक बात नै बुझि सकैछी तें भाषा जरुरी छैक।

आब आगु ई बुझु जे संसारमे त बहुतो भाषा छैक।तहन मैथिली भाषा उपर अतेक जोड किए ? एखनुक विज्ञान आ प्रविधीके युगमे जतु लोक एक दिस विभिन्न तालिम,शिक्षण सब ल क विदेश कमाइ लेल जाइअ।इंगलिस,जेपनिज आ कोरियन भाषा सिखैए, ओहिठाँ दोसर दिस विद्यालयीय स्तरमे मैथिली भाषा अनिवार्य करबाक कोन बेगरता ? कि एहि सँ बच्चाक भविष्य सुरक्षित आ सुनिश्चित हेतैक? कि एहि सँ जीवन वसर चलतै आ कि बस समयेटा खर्च हेतैक आगु जा मैथिली पढलौं ताहि लेल पश्चाताप हेतैक ? तहन सुनू, भलहि हमसब नेपालमे रहैत होइ। हमरा सभहक राष्ट्रिय भाषा नेपाली होए मुदा जतेक आनदित भऽ कोनो बात अपन भाषामे बुझैत छियै कि नेपाली वा अन्य भाषामे बुझ मे अबैए? भलहि लौल चौलसँ विश्वक अनेको भाषा सीख ली मुदा जतेक प्रसन्नता अपन भाषा दैए ततेक अन्य कोनो द सकैए ? आब कहबै अपन भाषा माने कि ? मातृभाषा,माएक भाषा। जे हमर सबहक माइक बोल अछि। जे हमसभ माइके मुँह सँ सीखने छी।
अच्छा आब एकटा बात कहु अहाँक भाषा भेल मैथिली। मैथिली माने अहाँक मातृभाषा। त कि एकर सम्मान करब अहाँक परम् कर्तव्य नै छी ? सोचु, एकदिन अहाँक घरमे अहाँक कोनो मित्र ? सखी आएल। ओ अहाँक देखलक अपन माए साथे दुर्व्यवहार करैत वा सम्मान नै करैत । तहन अहीँ कहुँ, ओ कोना अहाँक माइकेँ सम्मान करत ? मातृभाषा सएह छियैक।अहाँ जऽ अपने सँ अपन मातृभाषाक सम्मान नै करबै तहन दोसर कियो नै करत। हम ई नै कहैत छी जे दोसर भाषा नै बजबाक चाही, नै सीखबाक चाही। बेसक सीखबाक आ बजबाक चाही मुदा ताहि लेल अपन मातृभाषाके आहुती नै देबाक चाही। एकरा नै त्याग करबाक चाही। एकरा एना बुझि सकैत छी जे अपन माए के माइ कहुँ। तकराबाद मौसीके कहु वा पितियाइन के । मुदा अपन माइ के त्यागिक मौसी आ पितियाइन के माए कहनाइ न्यायोचित नै, अनर्थ छियै।

हमसभ कौल्हा भविष्य छी।आइ जे करबै ओकरे प्रतिफल छैक भविष्य। हम ई नै कहैत छी अन्य भाषा छोड़ि दियौक वा ओकर सम्मान नै करियौक। सब भाषाक सम्मान करबाक चाही आ करु। कारण जे नेपाल देश चारिटा वर्ण आ छत्तिस जातिक फूलवारी रहल बात सबकियो जनैत छी। एहिठाँ सबहक अपन अपन भाषा आ संस्कृति छैक। सबकियोके अपन भाषा संस्कृतिके संरक्षण आ विकास करबाक स्वतन्त्रता छैक। अहाँ सब इहो जनैत छी जे नेपालमे नेपालीक बाद दोसर स्थानमे बाज बला भाषा मैथिली छी। अपन सबहक प्रदेश २ के त सब सँ बेसी बजै बला प्रमुख भाषाक रुपमे मैथिलीए अबैत अछि। अत: सबगोटे मिलिकु एहि प्रति उदार भाव रखियौ।पढ़ियौ। लिखियौ आ सिखियौ। जखने हम नवतुरिया सब आगु एबै तहन अवस्से हेतै मैथिलीक विकास आ तहने हेतै मैथिली जिन्दावाद !
लेखक
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विन्देश्वर ठाकुर
साहित्यकार,दोहारकतार
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