समानता : हमर खाेपरीबला घर । विन्देश्वर ठाकुर

गामक बहरानमे
हमर खोपरीबला घर
घरक आगु दहिना कात
दूरा पर रोपल                   
एकटा आमक गाछी
गाछीके धोधिमे लुधकल
चुट्टी,पिपरी आ कि चिड़इ चुनमुन सेहो।

नब गौछली गाछी पर
लागल रहैक नव कनोजर
झमटगर रहै डाँरि-पातसब
बसैत रहै  रङ्ग बिरङ्गी
चिड़इ -चुनमुन आ कि आदमी सेहो
आ गबैत रहै एक सूरमे
नेह भड़ल गीत।
मुदा,
समय चक्रसङ्गे जखन बुढ़ा गेलै गाछी
सुखिगेल छैक एकर पत्तासब आ
झखरि गेलैए एकर यौवन
तहन ने जाइत छै कोनो मानव आ
विन्देश्वर ठाकुरनहिए जाइत छै कोनो चिड़इ-चुनमुन।

जे होइक मुदा हम जनैत छी
ई जे सुखल गाछी छैक
अन्तिम श्वासोधरि कहैए हमरा सँ
भलही सुखि जाइ हम
समाप्त भऽ जाए हमर जीवन
मुदा मरैत रहब हम
सदिखन तोरेसब लेल
जँ, जरुरत होउक त
ल' जैहे हमर एक-एक अङ्ग आ
जरा लिहे हमरा
जरना लेल,होमजाप लेल आ कि
दाह-संस्कार लेल सेहो।

हमरा याद अबैत अछि
जिनगीक उतरार्धमे रहल
हम्मर बाबुजीक आश्वासन जे
सदिखन कहैए हमरा सँ
चिन्ता जुनि करु हम छी ने.....

तखन हमरा ओ
आमक गाछी आ
हम्मर बाबुजी
जिनगीक बाटमे
सहजताक पूल जकाँ
समान लाग' लगैत अछि।


रचनाकार 
esangor

विन्देश्वर ठाकुर
०४-०३-२०२०
विन्देश्वर जीक रचना मैथिली साहित्यकेँ नव  आयाम दैत छनि । अपन विचाराधाराकेँ कवितामे बृहत प्रस्तुती करैत सुक्ष्म ढङ्गे लाेकके मनाेभावकेँ पकड़ि लैत छनि । प्रेमक टाइम लाइन , नेपालक नाेर मरूभुमिमे कृतिसभक मादे अपन रचना पाेथीक रूपेँ  प्रकाशित कएने छथि
इ-सङ्गाेर