अहाँ मिथिलाके नारी छी
पूर्णिमाके चान अहाँ
नेह भरल कोसी - बलान अहाँ
गजल अहाँ गीत अहाँ
साधना सँ भरल संगीत अहाँ
सुर अहाँ तान अहाँ
ज्ञान आओर विज्ञान अहाँ
सृष्टिके सृजनकर्ता अहाँ
घर कल्याणक विध्नहर्ता अहाँ
अही सँ अछि जग निरन्तर
अही सबहक कल्याणी छी
लोक भलेही लाचार बुझए
अहाँ नै महामारी छी
सबठाँ सबहक हितकारी छी
सुन्नरि आ संस्कारी छी
अहाँ मिथिलाके नारी छी
अहाँ मिथिलाके नारी छी ।
रचनाकार
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