डेग–डेग पर हेराफेरी
बाउ हो बाउ हम कोन्नी जाउ
एन्नी जाउ कि ओन्नी जाउ
हौ डेग–डेग पर हेराफेरी
भोकना मारे कनफेरी दाउ
बिनु फगुवा के गाम मे होरी
दिन दहारे घर मे चोरी
पञ्चैती के इमान बिकागेल
अवला के संग सीनाजोरी
कर्म कुटे विदेश मे मर्दावा
मौगी असगर फाँके लावा
बिगड़ल घर हाथ लुकाठी
काने बेचारा बूढ़ा बाबा
मंगला लुढ़कल पिबि कऽ दारु
सोचे जिनगी मोहर कि भारु
आजु क्रोध सँ मातल मंगली
खोजे सगरो लेने हाथ मे झारु
रचना:-विनीत ठाकुर
published by : eSangor
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