तोड़ैछी हम गुलैर गाछिकेँ आम समैझके ।
खुदके समहारैछी पृयके नाम समैझके ॥
कत' मिलत अप्पन जाँहैत खेत खरिहान।
खाइछी फुटहा ओरहाकेँ बदाम समैझके॥
सिसे सिसासँ बनल इमारत तऽ बहुत अछि।
मूदा काटैछी दिन अप्पन गाम समैझके ॥
मोन होइए कि भागि आबितहुँ अप्पने देशमे।
डेग रुकि जाइए बाबुके माथहक घाम समैझके॥
हित प्रेम दोस महिम कियोने अछि सङ्गमे ।
तबो खुस छी मिथिलाक पावन धाम समैझके॥
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