बेहोसमे रहितो ओइदिन कना क' गेलियै | मो. आमिन अलि

गजल: 

जिते जिन्दगी जहर बना क' गेलियै अहाँ
किथि ल' असगरुआ बना क' गेलियै अहाँ

जिन्दगी जहरे बनल तें पिबै छी आ जिबै छी
बेहोसमे रहितो ओइदिन कना क' गेलियै अहाँ

 जहरे पिएके प्रेमक दुख  नइँ भुलाबे सकलियै
लेकिन प्रेमक खु:शी भुला क' गेलियै अहाँ

हमर जीवनकेँ अमृतसँ जहर बना दिने छी
कहु न प्रिय कोन खेल खेला क' गेलियै अहाँ

आब बिना प्रेमकऽ घर अहि बसाबै छियै
लेकिन प्रेम दैइबला घरके मिटा क' गेलियै अहाँ



Sangor mithila ghazal

रचनाकार परिचय
मो. आमिन अलि
भैरहवा,रुपन्देही (कार्यरत,अध्ययन : B.ed.1st)
सदस्य;सङ्गोर मिथिला
आमिन जी भर्खर रचना करब प्रारम्भ कएने अछि।
हृदयक बेदना अपन कलमसँ व्यक्त करैत जएबाक  हिनक मुल विशेषता छियनि।

Post a Comment

0 Comments